...
मैं था दीवार पे शीशे में.............था तस्वीर जड़ा,
जिसे चाहा था वो हैराँ सा........ज़मीं पर था खड़ा |
हाल-ए-दिल के थे कई फासले......जो तय न हुए,
फिर भी हालात-ए-भंवर से था मैं फिर बहुत लड़ा |
जिसे चाहा था वो हैराँ सा........ज़मीं पर था खड़ा |
हाल-ए-दिल के थे कई फासले......जो तय न हुए,
फिर भी हालात-ए-भंवर से था मैं फिर बहुत लड़ा |
_______________हर्ष महाजन
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