Monday, June 4, 2012

मैंने आज रुख आँधियों का मोड़ दिया

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मैंने आज रुख आँधियों का मोड़ दिया
हादसा हुआ अजीब लिखना छोड़ दिया ।

कितने उठे थे सवाल सभी महफ़िलों में
अपने हाथों सर-ए-बज़्म दिल तोड़ दिया ।

कुछ इस अंदाज़ से उसने खोले मेरे ख़त ,
दुनियां ने उस संग मेरा नाम जोड़ दिया ।

रुखसत हुआ तो बोझ था उसके दिल पर,
दुनिया ने बे-वज़ह ही रिश्ता मरोड़ दिया ।

ऐ गर्दिश-ए-दौरां भला क्या किसी से डरें
हमने प्यार से नफरत का रुख मोड़ दिया ।

_______________हर्ष महाजन ।


गर्दिश-ए-दौरां= मुसीबत का समय

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