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हुआ जो तुझ से जुदा तो मुझे अहसास हुआ
दर्द क्या होता है तनहाई में विश्वास हुआ ।
तुम जो संग थे तो ज़माना भी कदर करता था
मगर जो बिछुड़े तो नादानी का अहसास हुआ ।
सुबह से शाम होती शाम से शब् फिर वो सहर
मरा मैं किस तरह हर पल वो कैसे नास हुआ ।
मुझे तो फूल समझ खुद रहे काँटों की तरह
बचाया दुनिया से अहसास मुझे ख़ास हुआ ।
हरसूं अपनों ने भी अहसासों से आज़ाद किया
ज़हन का खून हुआ जिगर का बनवास हुआ ।
______________हर्ष महाजन ।
हुआ जो तुझ से जुदा तो मुझे अहसास हुआ
दर्द क्या होता है तनहाई में विश्वास हुआ ।
तुम जो संग थे तो ज़माना भी कदर करता था
मगर जो बिछुड़े तो नादानी का अहसास हुआ ।
सुबह से शाम होती शाम से शब् फिर वो सहर
मरा मैं किस तरह हर पल वो कैसे नास हुआ ।
मुझे तो फूल समझ खुद रहे काँटों की तरह
बचाया दुनिया से अहसास मुझे ख़ास हुआ ।
हरसूं अपनों ने भी अहसासों से आज़ाद किया
ज़हन का खून हुआ जिगर का बनवास हुआ ।
______________हर्ष महाजन ।
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