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बदनसीबी में यहाँ लोग जिया करते हैं
बेबसी देखो यहाँ रोज़ पिया करते हैं ।
ज़िन्दगी जुर्म है अब जुर्म कज़ा देती है
बंद मुट्ठी में सजा रोज़ लिया करते हैं ।
जिनके घर में कभी खुशियों ने न झाँका कभी,
होके महरूम भी वो प्यार किया करते हैं ।
दिल तो उनके सर-ए-आम क़त्ल होते हैं
ज़ख्म सहते हैं मगर रोज़ सिया करते हैं ।
मेरे अशार उन्हें रोज़ मलहम देते हैं
दिल के जज़्बात कहीं वो भी जिया करते हैं
____________हर्ष महाजन ।
बदनसीबी में यहाँ लोग जिया करते हैं
बेबसी देखो यहाँ रोज़ पिया करते हैं ।
ज़िन्दगी जुर्म है अब जुर्म कज़ा देती है
बंद मुट्ठी में सजा रोज़ लिया करते हैं ।
जिनके घर में कभी खुशियों ने न झाँका कभी,
होके महरूम भी वो प्यार किया करते हैं ।
दिल तो उनके सर-ए-आम क़त्ल होते हैं
ज़ख्म सहते हैं मगर रोज़ सिया करते हैं ।
मेरे अशार उन्हें रोज़ मलहम देते हैं
दिल के जज़्बात कहीं वो भी जिया करते हैं
____________हर्ष महाजन ।
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