..
ये दिल मैं टुकड़ों में तुझ पे निसार कर बैठा
यूँ हुई खता के मैं खुद दिल पे वार कर बैठा ।
ये चीज़ क्या उल्फत समझ न पाया वो यारब
मैं बे-अकल खुद को उस पे बीमार कर बैठा ।
नशा वफ़ा का रकीबों की महफ़िलों में चला
सजा के खुद महफ़िल खुद ही बे-जार कर बैठा ।
लगे ये सदमे हमें जुदाई के अब सहने पड़ेंगे
ग़मों कि फहरिस्त में खुद को शुमार कर बैठा ।
________________हर्ष महाजन
ये दिल मैं टुकड़ों में तुझ पे निसार कर बैठा
यूँ हुई खता के मैं खुद दिल पे वार कर बैठा ।
ये चीज़ क्या उल्फत समझ न पाया वो यारब
मैं बे-अकल खुद को उस पे बीमार कर बैठा ।
नशा वफ़ा का रकीबों की महफ़िलों में चला
सजा के खुद महफ़िल खुद ही बे-जार कर बैठा ।
लगे ये सदमे हमें जुदाई के अब सहने पड़ेंगे
ग़मों कि फहरिस्त में खुद को शुमार कर बैठा ।
________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment