Ek Geet
मेरे साए की है छाँव,
सर पे धूप नीचे पाँव,
धरती पे है झूठा बसेरा
फिर गगन करे शामिल अँधेरा ।
रात ख्वाबों में कट जाती,
दिन में यादें फिर रुलाती,
बादलों में है बरखा का डेरा,
चंद अश्कों ने आके मुझे छेड़ा ।
मेरे साए की......
___हर्ष महाजन
मेरे साए की है छाँव,
सर पे धूप नीचे पाँव,
धरती पे है झूठा बसेरा
फिर गगन करे शामिल अँधेरा ।
रात ख्वाबों में कट जाती,
दिन में यादें फिर रुलाती,
बादलों में है बरखा का डेरा,
चंद अश्कों ने आके मुझे छेड़ा ।
मेरे साए की......
___हर्ष महाजन
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