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सुबह-ओ-शाम मैंने बहुत पी मगर इक सरूर अभी बाकी है
ग़ज़लें कही बहुत पर तेरे लिए कहूं इक ज़रूर अभी बाकी है ।
____________________हर्ष महाजन
सुबह-ओ-शाम मैंने बहुत पी मगर इक सरूर अभी बाकी है
ग़ज़लें कही बहुत पर तेरे लिए कहूं इक ज़रूर अभी बाकी है ।
____________________हर्ष महाजन
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