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तुझ से ऐ जान-ए-वफ़ा हम न गिला रखेंगे
जो भी रखेंगे तो पहचान जुदा रखेंगे ।
दिल के ज़ख्मों का ज़िक्र हम न करेंगे उनसे
जो भी उठेगा भंवर दिल में छुपा रखेंगे ।
कोई काफिर भी अगर तुझ को सताएगा कभी
याद कर लेना ये दर हम भी खुला रखेंगे ।
तेरी मंजिल के लिए तुझ से कोई जाँ मांगे
हम तो जाँ अपनी हथेली पे सजा रखेंगे ।
गैर मुमकिन है कि हम तुझको कभी भूलेंगे
तेरी याद अपनी अदाओं में बना रखेंगे ।
_______________हर्ष महाजन ।
तुझ से ऐ जान-ए-वफ़ा हम न गिला रखेंगे
जो भी रखेंगे तो पहचान जुदा रखेंगे ।
दिल के ज़ख्मों का ज़िक्र हम न करेंगे उनसे
जो भी उठेगा भंवर दिल में छुपा रखेंगे ।
कोई काफिर भी अगर तुझ को सताएगा कभी
याद कर लेना ये दर हम भी खुला रखेंगे ।
तेरी मंजिल के लिए तुझ से कोई जाँ मांगे
हम तो जाँ अपनी हथेली पे सजा रखेंगे ।
गैर मुमकिन है कि हम तुझको कभी भूलेंगे
तेरी याद अपनी अदाओं में बना रखेंगे ।
_______________हर्ष महाजन ।
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