Tuesday, June 5, 2012

कितना ही दर्द-ए-गम छिपा है उसकी जुबां में 'हर्ष'

कितना ही दर्द-ए-गम छिपा है उसकी जुबां में 'हर्ष'
जब भी निकला इक कहर उसकी बातों से निकला ।

____________________हर्ष महाजन ।

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