..
पा गया काबू मैं दिल के ख़तरात पर
जाम पे जाम जो ले रहा था रात भर ।
कैसा असर था उसका मेरे ज़हन पर
फख्र महसूस न कर तू इस खैरात पर ।
________________हर्ष महाजन ।
पा गया काबू मैं दिल के ख़तरात पर
जाम पे जाम जो ले रहा था रात भर ।
कैसा असर था उसका मेरे ज़हन पर
फख्र महसूस न कर तू इस खैरात पर ।
________________हर्ष महाजन ।
No comments:
Post a Comment