चोका
उसकी चाह
मुझको ले डूबेगी
पराई है न !
किसे कहूं ये सब
कभी यूँ लगे,
सब छोड़ आएगी
मेरी खातिर !
मगर देखता हूँ ।
वो तो खुश है
अपने ही घर में
मन जले है ।
काश! वो चाहे मुझे
अपनों की तरहां !!
__हर्ष महाजन ।
उसकी चाह
मुझको ले डूबेगी
पराई है न !
किसे कहूं ये सब
कभी यूँ लगे,
सब छोड़ आएगी
मेरी खातिर !
मगर देखता हूँ ।
वो तो खुश है
अपने ही घर में
मन जले है ।
काश! वो चाहे मुझे
अपनों की तरहां !!
__हर्ष महाजन ।
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