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अब वो कहते हैं कि अबकी ये ग़ज़ल मेरी नहीं
इतना जलते हैं कहें आँखों में मचल मेरी नहीं ।
जब भी सीने में कभी भड़के है शोले गम के
मुझको पागल कहें आँहों में उगल मेरी नहीं ।
___________________हर्ष महाजन ।
अब वो कहते हैं कि अबकी ये ग़ज़ल मेरी नहीं
इतना जलते हैं कहें आँखों में मचल मेरी नहीं ।
जब भी सीने में कभी भड़के है शोले गम के
मुझको पागल कहें आँहों में उगल मेरी नहीं ।
___________________हर्ष महाजन ।
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