Saturday, May 26, 2012

काश ! मैं तेरी वफ़ा का इक सहारा बन चलूँ



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काश ! मैं तेरी वफ़ा का इक सहारा बन चलूँ ,
तू रकीबों से अलग मेरा किनारा बन चले ।
गैर मुमकिन है खुदा मुझको जुदा तुझ से करे
फिर किनारा मैं बनूँ औ तू सहारा बन चले ।


__________________हर्ष महाजन ।

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