वो सोचते हैं तंज़ उनका धर्म है
यकीनन यही उनका कर्म है ।
वो लाये गए कुदरत की देन
खुदा ने सच ली उनकी शर्म है।
क्या कहूं उदास भी क्यूँ रहूँ
दोस्ती इतनी भी नहीं नर्म है ।
आ जाओ प्यार कर लें हम
हटा लो कोई ऐसा गर भ्रम है ।
'हर्ष' यार यारों का गमखार भी
आँखों में उसकी अब भी शर्म है ।
_________हर्ष महाजन ।
यकीनन यही उनका कर्म है ।
वो लाये गए कुदरत की देन
खुदा ने सच ली उनकी शर्म है।
क्या कहूं उदास भी क्यूँ रहूँ
दोस्ती इतनी भी नहीं नर्म है ।
आ जाओ प्यार कर लें हम
हटा लो कोई ऐसा गर भ्रम है ।
'हर्ष' यार यारों का गमखार भी
आँखों में उसकी अब भी शर्म है ।
_________हर्ष महाजन ।
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