Tuesday, May 22, 2012

मोहब्बत हो रही बदनाम मेरे अफ़साने बहूत हैं

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मोहब्बत हो रही बदनाम मेरे अफ़साने बहूत हैं
तेरे इस शहर में तो अब मेरे दीवाने बहुत हैं ।

तेरी आँखों के समंदर में मिले है नशा इतना
वरना कहने को तो इस शहर में मैखाने बहुत हैं

यहाँ खिलते हुए फूलों को झड़ते देखा है हमने
इन्हें अंजाम देने को अब यहाँ बेगाने बहुत हैं ।

तेरे कूचे में आकर दिल की कश्ती डूब जाती है
ज़रा अब देखो तो हम प्यार में अनजाने बहुत हैं ।

मेरी रातें तेरी यादों से सजी रहती हैं लेकिन
मुझे डर है तो बस इन यादों के ठिकाने बहुत हैं

___________हर्ष महाजन ।

Thursday, April 15, 2010
http://harashmahajan.blogspot.in/search?q=mohabbat+ho+rahi+badnaam+

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