Saturday, May 19, 2012

उम्र भर छुपा रहेगा गद्दार ज़रूरी तो नहीं

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उम्र भर छुपा रहेगा गद्दार ज़रूरी तो नहीं
चेहरा होगा सर-ए-बाज़ार ज़रूरी तो नहीं ।

खाली हाथ आये थे खाली हाथ ही जायेंगे
रहेगा संग दौलत का अंबार ज़रूरी तो नहीं।

फ़ैल रही है खुशबू तेरे हुस्न-ओ-शबाब की
संभला रहेगा अब रुखसार ज़रूरी तो नहीं ।

कब तक सलामत रखेगा अपना ईमान कोई,
ईमानदारों का होगा बाज़ार ज़रूरी तो नहीं ।

नफस-नफस मेरा तेरे लबों से मुअत्तर रहे
अब जुबां से करूं इज़हार ज़रूरी तो नहीं ।

कहाँ तक करेगा बर्दाश्त 'हर्ष' तेरी बे-वफाई
कभी न चलेगी मेरी तलवार ज़रूरी तो नहीं ।

_____________हर्ष महाजन ।

नफस-नफस=सांस-सांस
मुअत्तर=भीगा हुआ

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