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दोस्त बन उस शख्स ने मेरा वोट तक लिया
सर्दियों में उस वक़्त उसने कोट तक लिया
बेवकूफ था लुटा दिया उस शख्स पे ये सब
मेरी जायदाद थी बिकी उसका नोट तक लिया ।
वो चोर था इस बात का कोई इल्म न था मुझे
उस शख्स ने मेरे जिस्म से लंगोट तक लिया ।
_________________हर्ष महाजन
दोस्त बन उस शख्स ने मेरा वोट तक लिया
सर्दियों में उस वक़्त उसने कोट तक लिया
बेवकूफ था लुटा दिया उस शख्स पे ये सब
मेरी जायदाद थी बिकी उसका नोट तक लिया ।
वो चोर था इस बात का कोई इल्म न था मुझे
उस शख्स ने मेरे जिस्म से लंगोट तक लिया ।
_________________हर्ष महाजन
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