जुल्फों में पडे ख़म का अब असर तो देखिये
मोहब्बत लिए खडा हूँ मिरी नज़र को देखिये ।
अब देखता जहां मेरे अंदाज़-ए-बयाँ को ,
ये इल्तजा है उनसे बस डगर को देखिये ।
___________________हर्ष महाजन
मोहब्बत लिए खडा हूँ मिरी नज़र को देखिये ।
अब देखता जहां मेरे अंदाज़-ए-बयाँ को ,
ये इल्तजा है उनसे बस डगर को देखिये ।
___________________हर्ष महाजन
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