Tuesday, March 20, 2012

शकुनि - एक व्यंग

शकुनि

मैं
शकुनि हूँ !
किन्तु आज----
मैं अकेला नहीं हूँ ।
धोखे हैं
पर
दोस्तों से
अधूरा नहीं हूँ ।

महाभारत काल में
रहा होगा
एक वफादार शकुनि !
आज सब के सब
शकुनी तो हैं !!
पर
बेवफा है ।

हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment