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वो शख्स मुझे शिकस्त देने की फ़िराक में रहता है
हर बार होता है ध्वस्त, फिर भी ताक में रहता है।
इल्म नहीं है उसे अपने इल्म के दर्जे का अभी 'हर्ष'
फिर भी वो बे-वज़ह अपनी खोखली धाक में रहता है।
___________________हर्ष महाजन
वो शख्स मुझे शिकस्त देने की फ़िराक में रहता है
हर बार होता है ध्वस्त, फिर भी ताक में रहता है।
इल्म नहीं है उसे अपने इल्म के दर्जे का अभी 'हर्ष'
फिर भी वो बे-वज़ह अपनी खोखली धाक में रहता है।
___________________हर्ष महाजन
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