एक और पुरानी रचना ....हर्ष महाजन' स सिक्स लायीनर्स ....
चोर-चोर कहने लगा खुद ही घर का चोर,
बस्ती सारी जगाये ली मचा-मचा के शोर
मचा-मचा के शोर, बहुतेरे नाम सुझाए
रंगत उसकी देख,किसी के समझ न आये,
कहे 'हर्ष' कविराय, यु है अपराध घनघोर,
ऐसे घरां से बच , जिनहाँ के घर में चोर।
__________________हर्ष महाजन
चोर-चोर कहने लगा खुद ही घर का चोर,
बस्ती सारी जगाये ली मचा-मचा के शोर
मचा-मचा के शोर, बहुतेरे नाम सुझाए
रंगत उसकी देख,किसी के समझ न आये,
कहे 'हर्ष' कविराय, यु है अपराध घनघोर,
ऐसे घरां से बच , जिनहाँ के घर में चोर।
__________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment