Wednesday, March 28, 2012

मेरी किस्मत शायद पाश-पाश होने को है तैयार

मेरी किस्मत शायद पाश-पाश होने को है तैयार,
ये महेंगायी का दौर तो मेरे घर में भी है बर-करार ।

किस तरह मनाऊंगा अपनी बीवी को ऐसे दौर में
जब दी थी फेहरिस्त और  कहा जाते हुए भोर में ।

सूट ले लेना साडी ले लेना,सैंडल ले लेना मेरे दिलदार
पाउडर करीम भूल न जाना इतर भी लेना खुशबूदार ।

राशन-वाषण भूल गया मैं हुक्म था उसका सर पे सवार
इक-इक शौपिंग कर डाली हुए होश फाख्ता देख बिल का सार ।

किया भुगतान तो देखा हमने कुछ और रकम की थी दरकार
रही सही इज्जत की उड़ गयी दज्जियाँ देखो अबकी बार ।

जिस चीज़ को देखो ऊंचे दाम हर चीज़ मुझ पे गुर्रायी
अबके मैंने सह लिया बस  अब और न सहेगी महंगायी ।

यूँ देख के मेरी घबराहट को बीवी कुछ-कुछ घबरायी
देख के खाली राशन का थैला  इतर को देख के शर्मायी ।

फिर प्यार से दे के चुम्बन कहा महंगाई सजन तुम भूल जाओ
मेरी फेहरिस्त नहीं चलेगी तुम अपनी फहरिस्त पर जाओ ।


________________________हर्ष महाजन

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