मीलों सफ़र तै कर चूका हूँ इन कजरारी आँखों का
कमाल-ए-हुस्न है या कोई जादू तुम्हारी आँखों का ।
मुद्दत से बहा हूँ इनमें पर साहिल नज़र नहीं आता
फिर भी करे इंतज़ार अब इन अदाकारी आँखों का ।
________________________हर्ष महाजन
कमाल-ए-हुस्न है या कोई जादू तुम्हारी आँखों का ।
मुद्दत से बहा हूँ इनमें पर साहिल नज़र नहीं आता
फिर भी करे इंतज़ार अब इन अदाकारी आँखों का ।
________________________हर्ष महाजन
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