'हर्षा' सब के मन खड़ा काटे सबका ज़हर
मनवा काले सींच कर शब् में भर दे सहर ।
शब् में भर दे सहर, करे अब दूर छलावे ,
शब् में भर दे सहर, करे अब दूर छलावे ,
दिल में हो कुछ बैर , सभी को दूर भगावे ,
कहे 'हर्ष' कविराय , खुदा से कर दो वर्षा ,
बैर करेगी हरण , तो खुश होवेगा हर्षा ।
हर्ष महाजन
०४/०३/२०१२
कहे 'हर्ष' कविराय , खुदा से कर दो वर्षा ,
बैर करेगी हरण , तो खुश होवेगा हर्षा ।
हर्ष महाजन
०४/०३/२०१२
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