तुम न लगा पाओगे अंदाज़ा अपनी तबाही का
तुमने देखा नहीं है मुझको शाम होने के बाद ।
रंग हो जाता है काला ज़र्द सुबह नज़र नहीं आता
पाँव फिर उलटे नज़र आते हैं शाम होने के बाद ।
________________________हर्ष महाजन
तुमने देखा नहीं है मुझको शाम होने के बाद ।
रंग हो जाता है काला ज़र्द सुबह नज़र नहीं आता
पाँव फिर उलटे नज़र आते हैं शाम होने के बाद ।
________________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment