हम तो लायें है उन शहरों की तस्वीरें खींच कर
जहां खेत नहीं खलिहान नहीं हम रहें भीच कर ।
अब किस तरह इंसानों की ये सोच बदल गयी
इक ही घर में रहें अब मंजिलें खींच-खींच कर ।
_______________हर्ष महाजन
जहां खेत नहीं खलिहान नहीं हम रहें भीच कर ।
अब किस तरह इंसानों की ये सोच बदल गयी
इक ही घर में रहें अब मंजिलें खींच-खींच कर ।
_______________हर्ष महाजन
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